Analysis of चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell….
जिंदगी जीना उसके लिए दुश्वार था,
चौवालीस दिन ना जाने कैसे झेला उसने वो वार था।
17 साल की बच्ची के साथ…
खेल जीवन ने खेला या कुदरत ने मालूम नहीं,
लेकिन…
जापान में वह जो आज भी आजाद है वह कोई मासूम नहीं।
जुन्को फुरुता का यह कैसा इम्तिहान था,
जहां हैवानियत भी शर्मशार हो जाए वह ऐसा हैवान था।
ये तो स्पष्ट था,
झेला उसने कितना कष्ट था।
उस बच्ची की क्या मनोस्थिति हुई होगी,
वो कैसी परिस्थिति रही होगी।
जापान के उस कानून पर प्रत्येक नागरिक शर्मिंदा था,
ऐसा घिनौना कृत्य करके वो फिर भी ज़िंदा था।
काश मोमबत्तियों की जगह उसे जलाया होता,
जुन्को फुरुता ने जो जो झेला उसका एहसास कराया होता।
करता रहा वो नारी शोषण,
अपराधी हैं वो माता-पिता भी जो सच्चाई जानने के बावजूद भी करते रहे उसका पालन पोषण।
जब बच्ची की आबरू को छीना गया कहां गया था संविधान,
जब वो ज़िंदा बच निकला कहां गया था जापान।
ऐसे को तो ज़िंदा ही ज़मीन में गाड़ देना था,
जिन हाथों से उसने कुकर्म किए…
उनको तो शरीर से ही उखाड़ देना था।
ईश्वर ने भी रची कैसी साजिश थी,
तबाह हो गयी…
जो जीवन को लेकर उसकी ख्वाहिश थी।
करती रही होगी वो मौत से रूबरू होने की गुहार,
पर किसी ने ना सुनी होगी उसकी पुकार।
उसकी चीखें भी गूंजती होंगी जापान की उस फिज़ा में,
वो भी सोचती होगी फिर ना आऊं मैं इस जहां में।
उन माता- पिता की आत्मा भी ज़ार ज़ार रोई होगी,
जब वो बच्ची हमेशा के लिए आँखें मूंद सोई होगी।
उस बच्ची के साथ उन माता पिता ने भी खत्म कर दी होंगी अपनी सारी चाहत,
खुदा से करते होंगे वो बस एक इबादत।
फिर न ऐसा अपराध हो,
फिर न किसी बच्ची की आत्मा पर ऐसा आघात हो।
करना होगा अब एक नया आगाज़,
उठानी होगी अब मिलकर आवाज़।
जहाँ बेटियाँ नहीं हैं सुरक्षित,
व्यर्थ है फिर ये समाज शिक्षित।
कैसी है ये अधूरी मानसिकता,
भूल चुका है व्यक्ति मर्यादा…
फिर किस काम की रह गई ये शिक्षा।
अब कानून के नियम को बदलना होगा,
बेटियों का साथ दे कानून और सभी नागरिक…
फिर बस उन दरिंदों को संभलना होगा।।।
-ज्योति खारी
Scheme | A |
---|---|
Poetic Form | Palindrome |
Metre | 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 |
Characters | 4,372 |
Words | 381 |
Sentences | 1 |
Stanzas | 1 |
Stanza Lengths | 47 |
Lines Amount | 47 |
Letters per line (avg) | 0 |
Words per line (avg) | 8 |
Letters per stanza (avg) | 2 |
Words per stanza (avg) | 361 |
About this poem
In this poetry describe the pain of junko who is Japan's girl .
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"चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell…." Poetry.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 28 May 2024. <https://www.poetry.com/poem-analysis/157991/%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%B8-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95-%28%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AB%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A4%BE%29-----forty-four-days-of-hell%E2%80%A6.>.
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